कर्म बंधन हमें बांध कर रखता है। जब तक पूर्ण प्रभु समर्पण (surrender) नहीं करते लेन-देन चुकाते रहेंगे।
‘हमारी तकदीर हमारी मुट्ठी में’
बचपन से सुनते हैं।
आपके कर्म बंधन से कोई दूसरा छुड़ा नहीं सकता; जिस दिन यह समझ में आएगा, हम सोच समझ कर हर कार्य करेंगे।
“कोई नहीं देख रहा है”; यह सोच कर हम बहुत से कार्य कर लेते हैं जो पूरी तरह से शुद्ध नहीं होते;
किंतु समझने की बात यह है की देखने वाली तो हम खुद की अंतर आत्म ही है, जो संस्कार के रूप में प्रारबध इकट्टे रख कर उसका परिणाम देती है।
भाग्य भी हम खुद ही बनाते हैं, और श्री भगवान को इसका जिम्मेदार ठहरा देते हैं।
ठाकुरजी तो भक्त को हर तरह से आनंद देने की कोशिश ही करते हैं, नासमझ हैं वो जो श्रीनाथजी का हाथ पकड़ने में देर करते हैं
प्रभु का तो इस लेन-देन से कुछ लेना-देना ही नहीं है।
🙏 जय हो
Shree Thakurji does not punish you. We do it to our selves and put the blame on ShreeThakurji.
Sooner we understand this universal law, faster we will be able to experience forgiveness for all around.
Destiny is what we make it. What karma we did before today, made our today.
What we do today and every day henceforth will create our future destiny.
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