Gurushree has given the date and time for Sthapan.
It was Monday, 16 April 2012 at 3.45 PM, Chaitra Vad Ekadashi, Varuthini Smarth Ekadashi, Vallabhacharya Pragtya Uthasav, on this auspicious day of Ekadashi Gurushree and Abhaji visited at my home, Gurushree does the sthapan in very simple way with purity & bhao.
He does not require all rituals and pujans, which normally we see for any sthapan. This way ShreejiBaba has entered our home and our life with all the blessings, through krupa of Gurushree.
Shreeji is very live and this way Shreeji does miracle and plays with his bhakts, I was lucky to experience this anubhuti with the krupa of my Gurushree Sudhir Shah.
Thank you Gurushree, for your Krupa & Blessings, app ki krupa hamesha bani rahe.
Jai Shreeji!
Author: Ritesh Kochar
Sthapn at Ritesh's house on 16 April 2012
आनंद जीवतात्मा का सहज स्वभाव है इसलिए माया व काल के गतिमान संसार मे आने के बाद भी जीव आनंद की खोज में लगा रहता है ये सनातन सत्य है खोजता आनंद है पर मिलता दुख है इसका एक मात्र कारण है अपने स्वरूप से विस्मृति । जो यात्रा हमारे भीतर की ओर होनी चाहिए थी पर हमारी गति बाहर की तरफ मुड़ी हुई है । आत्मा नित्य है संसार अनित्य है हर जीव का अपना स्वरूप होता है यही आत्मा है ।आत्मा व परमात्मा के मध्य महात्मा है अपने स्वरूप से कभी भी परिचय होता है तो प्रभु के अपने स्वरूप महात्मा के माध्यम से ही हुआ है वो हाथ पकड़ प्रेम की चुनरी ओढा ले चलते है "प…