..”मैं तेरे साथ घर चलता हूँ, आज वहीं रहूँगा देख सिर्फ तुझे बुलाया दर्शन के लिए”, "आज की ताजा खबर लिख दे, जल्दी जल्दी करना, हा हा हा..”
श्रीजी उनके दर्शन के लिए अचानक बुलाते हैं
१३.०६.२०१७ मंगलवार
आज अंगारकी संकषटचतुथी भी है।
About 12 months ago the earlier Haveli was shut down as the Bavashri who managed this Haveli quietly carried away Shreeji's Swarup in hiding from the back door, before Utthapan darshan and closing the doors of Shreeji Haveli forever; left all bhakts in shock.
There had been a huge uproar over this at that time.
Whenever Gurushree felt sad about this happening Shreeji always said to him, "तू दुखी मत हो सुधीर, मैं बहुत जल्दी वापिस यहीं पर विराजूँगा"; मुझे कौन हटा सकता है, जब तक मैं ना चाहूँ”।
And now in a beautiful, interesting, divine happening the place has been bought over by some other Vaishnav and handed over to a trust; who will take care of it.
Paat is established and the newly made up Haveli is opened on Sunday 11th June; Jyeshtha abhishek divas.
The interactive varta with ShreeNathji goes as follows:
On Monday as Gurushree is resting, Shreeji wakes him;
Shreeji, " चल उठ, उत्थापन जे लिए आ, देख मेरा मंदिर फिर खुल गया है “।
Gurushree wakes up with a start and rushes for a shower and hurriedly goes to the Haveli ( it is very close to where he lives).
Shreeji also accompanies him and they both wait for darshan to open.
As usual Shreeji runs inside His nij mandir to grant darshans to Gurushree.
This swarup is exactly of Shree Govardhan Nathji.
It's the same as established at Nathdwara.
Back from darshan both sit in the garden swing.
Shreeji suddenly tells Gurushree to type a message to me; (Abha).
Shreeji to Gurushree, "सुधीर, आभा को फोन लगा और उसे शयन के लिए बुला अभी".
Gurushree replies, "श्रीजी ५.३० हो गए हैं, शयन ७.०० बजे है, कैसे आएगी? कम से कम १.३० घंटा पहुँचने में लग जाएगा, ट्रैफिक का समय है”।
(I live in South Mumbai)
Shreeji gives an order;
"तो उसे बोल कल (today on the 13th, Tuesday)मंगला दर्शन के लिए पहुँचे; तुम दोनों सुबह आ जाओ मेरे दर्शन के लिए; चल जल्दी फोन कर" ।
श्रीजी हमेशा की तरह बहुत ही जल्दी में होते हैं; उनका नटखट पना और उछलते रहना उनकी आदत है ।
(गलती से आज शाम मेरा फोन कमरे में रह गया, और घर पे कुछ मेहमान होने के कारण मैंने फोन सिर्फ ९ बजे चेक करा; घबरा गयी, इतने सारे missed calls थे गुरुश्री के नम्बर से)।
आखिर में गुरुश्री ने मेरे लिए मेसिज छोड़ दिया था;
" सुबह मंगला के लिए ६.५० को कांदीवली पहुँचना है, मुझे घर से लेना और साथ हवेली जाएँगे; दर्शन के लिए तय्यार होकर आना है”।
उनके आदेश अनुसार मैं सुबह समय से पहुँच जाती हूँ, गुरुश्री को उनके घर से लेती हुं।
हम, समय से पहले श्रीनाथजी के द्वार पर खड़े होते हैं ।यहाँ हवेली में गिरिराज जी के भी सुन्दर दर्शन सजाए हैं, जिसका हम दर्शन और परिक्रमा करते हैं ।पट ठीक ७.३० को खुलते हैं; और स्वरूप श्रीनाथजी का ऊर्ध्व भुजा उठाए हुए हैं । पीठीका के दर्शन भी हैं । ऐसे लग रहा है मानो नाथद्वारा में दर्शन कर रहे हैं; सिर्फ स्वरूप थोड़ा छोटा है।
और श्रीजी का साथ होने से दर्शन जागृत हो ही जाते हैं । दर्शन होने पर हम मंगल भोग प्रसाद लेते हैं, और निकल जाते हैं।
श्रीजी के भाव अपने भक्तों के प्रति होने से हर लीला होती है; उन्हें शायद अपने श्री गोवर्धन नाथ जी स्वरूप में यहाँ बिराजने की मर्जी होगी। दर्शन से लौटते हुए गुरुश्री को घर छोड़ना है।
उनके घर पहुँचे तो उन्होंने भाभी को फोन करके नीचे चाय भेजने के लिए कहा।
और जब हम चाय पीते हैं तो उसका स्वाद भी नाथद्वारा जैसी पुदीने की है; वाह ठाकुरजी! नाथद्वारा में हम मंगला के बाद चाय पीने जाते हैं, और जिन भक्तों को जाने का सौभाग्य मिला है, वे जानते हैं वहाँ की चाय का स्वाद ।
श्रीनाथजी ने हमें पूर्ण रूप से उनके दर्शन का आनंद भेंट करा ।
Sudhir bhai explains the entire episode to me. How excited Shreeji is about this opening.
When the older Haveli had shut down both were very sad about it.
But now with Shreeji's kripa and desire it has re opened, handled by a trust and the darshans are very similar to the swarup at Nathdwar. Shreeji has been super excited about this.
No one knows when, how, what happens in His world.
Shreeji is here with us;
मुझ से कहते हैं, "मैं तेरे साथ घर चलता हूँ, आज वहीं रहूँगा।देख सिर्फ तुझे बुलाया दर्शन के लिए”।
"आज की ताजा खबर लिख दे, जल्दी जल्दी करना, हा हा हा..”
(जब प्रभु ने यह आज्ञा करी, तो गुरुश्री की इजाजत लेकर मैं फिर हवेली गयी, और क्योंकि फोटो लेना माना है, मैनेजर से पूछा; उन्हें बताया के मुझे फेस बुक पे स्वरूप रखना है, ज़्यादा भक्तों को लाभ मिलना चाहिए।
उन ने तब उनके फोन से यह तस्वीर भेजी जो इस पोस्ट में रखी है. धन्यवाद)।
🙏जय हो प्रभु
आपकी कृपा की कोई सीमा नहीं है ।
कुछ भूल हुई तो क्षमा करने के कृपा करें।
Photos from 11.06.2017 Kandivali Haveli
आज की ताजा ख़बर
मन,बुद्धि,चित्त बारम्बार नतमस्तक हो रहे आप दिव्य त्रिवेणी के समक्ष एक एक शब्द रस बनकर घुलता जा रहा है आत्मा में व आत्मा को इस रस में भिगो आनंदित आह्लादित हो रहा है।इस दिव्य त्रिवेणी की बात के बारे में क्या लिखूं वो एकदूसरे पे रीझते है, वो उनसे ही बात करते है । उनके प्राणों में भी ही बहते है शरीर की सबसे छोटी इकाई जिसे अणु या atom कहते है वो भी इन दिव्यवर्ता को पढ़ शून्य होती जा रही है बिंदु रूप अणु की आंतरिक बोध यात्रा जिसमे सिंधु उमड़ता हुआ स्वयं आता दिख रहा है बिंदु घुलती ही जा रही है उस नमक की डली की भांति जो सिंधु में वि…