श्रीनाथजी, “मैं ६ बजे तेरे यहाँ आ गया और मेरी छवि मैं बैठ गया था, फिर जल्दी से भागा और उसके साथ गाडी में बैठ गया”…
1st November 2006
मेरे बच्चे का आज स्पोर्ट्स डे है।
वह हमेशा से एक अच्छी उत्साहित खिलाड़ी रही है, सिर्फ आज थोड़ी बेचैन हो रही है। उसे स्पोर्ट्स ग्राउंड में सुबह जल्दी पहुँचना है। निकालने से पहले वो श्रीनाथजी से प्रार्थना करती है आशीर्वाद के लिए।(श्रीनाथजी छवि हमारे हॉल में है, और घर से निकलते समय सामने रहती है)।
क्योंकि मैं उसके साथ नहीं जा रही हूँ, मेरी करीबी दोस्त ‘मिली’ को फोन करके विनती करती हूँ, की मुझे बताती रहे क्या चल रहा है। वह स्पोर्ट्स ग्राउंड पर होगी उसके बच्चे की रेस के लिए। कुछ ही घंटे में उसका फोन आता है की मेरे बच्चे ने ५ स्वर्ण पदक जीता है खेल कार्यक्रम में।
It is my child’s sports day today.
She has always been a very good athlete, and is excited, though a little nervous. She has to leave very early for the sports ground. Before leaving she prays to ShreeNathji for His blessings. (Shreeji's large Chavi is in our living room and we pass it always when leaving the house).
As I am not going with her, I call my dear close friend, Millie who would be there at the sports ground, and request her to keep me posted about happenings at the races. Few hours into the event I receive her call, saying that my child has won gold in all the events. She won five gold medals in athletics this year.
वार्ता खेल इस तरह है:
खेल के एक दिन पहले मैंने गुरुश्री सुधीर भाई को फोन करा उनका आशीर्वाद लेने के लिए। आज फिर फोन करती हूँ उन्हें खुश खबरी सुनाने के लिए।
५ स्वर्ण पदक जीतने के बात सुनकर गुरुश्री बहुत खुश होते हैं, और मुझे सुनने में आता है की वे श्रीनाथजी को धन्यवाद दे रहे हैं।
उसी रात मेरी श्रीनाथजी से एक बहुत ही लम्बी स्पष्ट बात चीत होती है; लगता है स्वप्न था, लेकिन श्रीनाथजी की मौजूदगी का पूर्ण एहसास भी है। उन ने मुझे पूर्ण स्पोर्ट्स कार्यक्रम के बारे में उनकी भाषा में बताया।
As the varta goes:
A day earlier to the sports day, I had called up my Gurushree, Shri Sudhirbhai, asking for blessings for my child; so now I call up to inform him about her accomplishments.
Gurushree, is delighted and I hear him thanking ShreeNathji also.
Later that same night I have this very incredible vivid conversation with ShreeNathji Himself who describes His version of the sports event!
ठीक उसी तरह लिख रही हूँ, जैसे बातचीत हुई:
Writing it exactly as the conversation happened:
श्रीजी मुझसे कहेते हैं, "कल जब तुम सुधीर से फोन पर बात कर रही थी मैं सुधीर के पास ही था। मैंने उसको पूछा की ये स्पोर्ट्स डे क्या होता है? आभा क्या बात कर रही है?
Shreeji tells me, "Yesterday, when you were talking to Sudhir on the phone, I was there with him. I asked him what sports day means. What is Abha talking about?
श्रीजी आगे बताते हैं, "तो सुधीर ने मुझे समझाया की स्कूल के बच्चों की प्रतियोगिता होती है, और मुझसे पूछा की आप वहां जाकर देखना चाहते हैं? मैंने हाँ करी”।
Shreeji continues, "Sudhir explained to Me that it is a school competition, and asked Me if I wished to go there and see how it happens. I said yes to him".
श्रीजी, "अरे, इसने (सुधीर) बोला तो मैं वहां गया। नहीं तो मैं ऐसे कहीं किसी के साथ नहीं जाता”।
Shreeji, "Arrey, Sudhir told me to go, that is why I went there. Other wise I never go any where with anyone like this.
श्रीजी, "फिर समस्या हुई की मुझे कैसे पता चलेगा कहाँ जाना है? सुधीर ने सुझाव दिया की सुबह जल्दी आभा के यहाँ चले जाना और बच्ची के साथ में ही स्पोर्ट्स ग्राउंड चले जाना।”
Shreeji, "Then rose the problem of how will I know where to go? Sudhir guided Me saying that I should go early to Abha’s house. From there I can go with her child to the sports ground.
श्रीजी आगे बताते हैं, "इसलिए मैं सुबह ६ बजे से तेरे यहाँ आ गया था; मेरी बाहर वाली छवि मैं बैठ गया। सुबह तैयार होकर तेरी बच्ची मेरे पास आई प्रणाम करने और आशीर्वाद के लिए”।फिर जब देखा की वोह निकल रही है, जल्दी से भागा और उसके साथ गाडी में बैठ गया। क्यों की मालूम नहीं था की कहाँ जाना है”।
Shreeji continues, "So early morning at 6 I reached your house and sat down in My Chavi which is outside in the hall. Your child came to Me to do her pranam and for blessings, before she left. As soon as I saw her leave, I also ran and sat in the car with her; as I did not know where to go.
श्रीजी, "स्पोर्ट्स मैदान में भी, मैं उसके पीछे खड़ा हो गया, क्योंकि मालुम ही नहीं था की क्या करना है। फिर सब भागने लगे, और तेरी बच्ची भी तेजी से भागी। मैं तो देखते हुए खड़ा ही रह गया। वोह पहले नंबर पर आई, और खूब जोर से ताली बजी;
Shreeji, "At the sports ground I stood behind her, as I just did not know what to do". "Then suddenly all began to run and your child also ran fast. I was just left standing there alone. She came first and all clapped loudly for her.
श्रीजी थोड़ी सी उदास आवाज में आगे बताते हैं, "लेकिन मुझे कोई नहीं देख रहा था। मैं खड़ा रहा, समझ में नहीं आया क्या करूँ। लेकिन मजा आया, बहुत धूप थी, और गर्मी भी।
Shreeji continues a little sadly, "But no one was looking at Me. I just stood there as I did not understand what to do.It was a lot of fun. But it was very sunny and hot.
श्रीजी, “थोड़ी थोड़ी देर में मैं तेरी बच्ची का चेहरा देख लेता था, मैं सही जगह पर ही हूँ न।
वहाँ कई बच्चे कागज खोल कर कुछ खा रहे थे, वो क्या होता है?
Shreeji- “Every few minutes, I would look at your child's face; and made sure that I am yet in the right place. Many children were eating something from a paper packet, what was that?”
आभा, ”श्रीजी, वो सैंडविच होगा, सब बच्चे पसंद करते हैं।”
Abha, “Shreeji, that must be a sandwich. Most of the children enjoy eating that.
आभा, “श्रीजी यह तो बताइये की आपको कैसा लगा? आशा है की स्पोर्ट्स डे में आपको मजा आई. आपने कभी ऐसा देखा ही नहीं होगा।”
Abha, "Shreeji, how did You like being there, hope you enjoyed the Sports day and had fun. I am sure You must have never seen anything like this before”.
श्रीजी शिकायत के लहजे में, "अरे, सब कितनी आवाज करते हैं! बहुत गर्मी भी थी वहां। वोह लोग ऐ.सी (AC)रूम में क्यों नहीं भागते हैं?
Shreeji in a complaing tone, "Arrey, these children make so much noise! It also became very hot. Why don’t these children run in an AC room?"
मुझे हँसी आती है, "श्रीजी इसलिए की बहुत बच्चे होते हैं इतना बड़ा कमरा कहाँ से लाएँगे।”
I burst in laughter. “Shreeji, maybe because there are a lot of children. It is not possible to get such a large room for sports events".
श्रीजी नटखट आवाज में कहते हैं, "हाँ.. फिर तो उनको एक छोटा ए.सी (AC) साथ लेकर दौड़ना चाहिए, अपने अपने सर के ऊपर। हा हा हा, लेकिन वोह चलेगा कैसे। और यह देखो, धूप में मैं कितना काला हो गया”। श्रीजी मजाक में कहते हैं।
Shreeji continues talking in His naughty tone, “Han.. But then they should all run with a small AC fitted on their head. Ha Ha, but then how will the AC work".
Also just see, how black and dark I have become in the sun..” Shreeji jokes.
श्रीजी आगे कहते हैं, “बहुत बच्चे थे, मुझे आनंद आया। पहले मैंने सोचा की तेरी बच्ची को उठा कर जल्दी से आगे रख दूँ, पर सुधीर की कही हुई बात याद आ गयी। उसने बोला था, 'श्रीजी कोई मस्ती नहीं करना वहाँ पर, सब लोग घबरा जायेंगे। कुछ नुक्सान भी नहीं होना चाहिए। फिर जब मन करे, आप वापस आ जाना’।
Shreeji continues with His dialogue, “There were a lot of children, I enjoyed Myself. Initially I had thought of lifting your child and putting her directly on the finish line. But I remembered Sudhir's warning. He had told Me not to do any mischief and just watch. Sudhir had explained that I should not cause any problem, as it could frighten the people present there. And whenever I feel like it, I could leave and go back”.
मेरे बच्चे ने भी बाद में मुझे बताया, “मुझे आत्म विश्वास था और इतना दौड़ने के बाद भी थकान नहीं महसूस हो रही थी। मेरे दिमाग में हारने का विचार ही नहीं आया। (इसने दौड़ की तीनों प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता)
मैंने उसे ठाकुरजी की कृपा के बारे में समझाया। हमने श्रीजी को धूप अर्पण करी और प्रणाम करा।
My child also told me later. “I felt very confident and there was no exhaustion after running the races. There was no negative thought in my mind”. (She had won gold in all the three running events).
I explained blessings to her, her own faith in Shreeji, and His Presence in our house. We both did a dhoop for Shreeji and thanked Him for His blessings.
उसी दिन मेरी दोस्त 'मिली' ने भी मुझे बताया था की वह जैसे ही स्पोर्ट्स ग्राउंड में आयी, उसे नाथद्वारा के प्रसाद की खुशबू मिली। चारों तरफ देखने के बाद भी उसे ऐसा कोई पेड़ या पौधा नहीं नज़र आया जिसमें से सुगंध आ सके। सब कुछ बहुत ही दिव्य लग रहा था। वापस जाते वक्त भी उसने नाथद्वारा प्रसाद की खुशबू महसूस करी।हो सकता है, श्रीनाथजी की दिव्य मौजूदगी का एहसास हो, क्योंकि 'मिली' भी उनकी भक्त है।
(जिन लोगों ने कभी नाथद्वारा का प्रसाद नहीं लिया है, उनके जानकारी के लिए; नाथद्वारा के प्रसाद में कपूर पाया जाता है, जिस के कारण उसमें एक मनमोहक गंध होती है)।
The same day later my friend Millie too told me that as she entered the sports ground, she smelt the fragrance of Nathdwara Prasad. She looked around her, but there was no tree or foliage from which the fragrance could come. It all felt very divine. While returning also, at the same point; she could smell the Nathdwara Prasad fragrance again. This might be because of ShreeNathji's Live Presence as Lalan in that area. And Millie is His bhakt.
(For those who have never eaten the prasad from Nathdwara, Shreeji's prasad has the typical fragrance of kapur( camphor) and some added spices which is very typical of the Nathdwara Haveli prasad).
कुछ दिव्य घटनाएँ और अनुभूति हमारी समझ के परे होती हैं। वे पूर्ण रूप से ना तो लिख सकते हैं, ना चर्चा कर सकते हैं।
उन्हें समझने और कबूल करने के लिए भक्ति, भाव और विश्वास जरूरी होता है।
ईश्वर और गुरु की कृपा से ही व्यक्ति निमित बन सकता है।ठाकुरजी के भक्त उनकी मीठी और दिव्य खेल और लीला का आनंद उठा सकते हैं।
Some happenings are un explainable and incredibly divine in nature. They cannot be explained in worldly language and can be understood and accepted only in faith and bhakti.
It is always kripa of God and Guru, that one can be fortunate enough to be a nimit for such divine interactions.
श्री ठाकुरजी के हुकुम और गुरुश्री की अनुमति से यह दिव्य लीला खेल आज जनमत के सामने उजागर कर रही हूँ।भक्तों के लिए श्रीनाथजी प्रभु का प्रेम है।
गुरुश्री को प्रणाम, श्रीजी को पूर्ण समर्पित, विनय पूर्ण इस कृपा के लिए नत मस्तक हूँ।
With Thakurjee's desire and my Gurushree's permission this present day leela and Khel is being made public. It is ShreeNathji's Love for His bhakts.
My pranam to my Gurushree and MahaGurushree, I am humbled by this divyata in my life and the divine love and kripa that I am showered with!
Jai Shreeji
Jai Shree Radhe Krishn!
पूर्णता से समर्पित मेरे श्रीजी के चरणों में
Abha Shahra Shyama
Below is the ShreeNathji Chavi which is in our Hall
आप उनके सखा या वो आपके सखा दोनो में कोई भेद कहाँ है। ऐसे दिव्य बन्धन को ना मैंने कभी देखा न सुना है गुरुश्रीजी। Sooo Sooo sooo Pure Soul, You are. क्या लिखूं मैं नतमस्तक होती जाती हूँ जितना थोड़ा आपका जान पाई हूँ । हर बार सोचती हूँ आप को जानती हूँ पहचानती हूँ पर फिर आपके ऐसे रूप में मिलती हूँ कि जिस से अब तक अनजान थी । मैं तो नादान बालक हूँ पर आप करूणा निधान हूँ मैं अगर कभी गलती कर दूँ तो आप माफ कर मुझे अपने चरणों मे जगह देते रहिए गुरुश्रीजी। मेरे जाने अनजाने जो भी कभी गलती की हो उसे क्षमा कीजिये श्रीजी बाबा गुरुश्रीजी। ये आत्मा आप प…