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ShreeNathji is surprised at the VIP Darshans

..“उनमें से जो भक्त मेरी गौ माता की सेवा करते हैं, उनको तो ज़रूर अधिकार मिलना चाहिए 'कीर्तनया गली' से पहले दर्शन का”..



20.01.2017


यह आज सुबह की बात है:

मंगला दर्शन करके जब हम बाहर आते हैं तो श्रीजी हमारे साथ ही चल रहे हैं लेकिन कुछ आश्चर्य में हैं, "अरे, आभा शाहरा श्यामॉ, ये क्या? तुम लोग तो आज के मनोरथी हो, फिर तुम लोगों को पीछे भीड़ में क्यों जाना पड़ा? वो कीर्तनिया गली से पहले अंदर कौन लोग आए?



मैं उन्हें समझाती हूँ, "श्रीजी वे लोग जो आगे हैं, वो या तो पैसे खिला कर जाते हैं, या फिर तिलकायत से चिट्ठी लिखाकर लाते हैं. उनको VIP माना जाता है”।



श्रीजी, "अरे, तुम लोग तो इतनी थूली कराते हो, फिर भी आगे से दर्शन नहीं होते क्या?

'मेरे' VIP तो मेरे मनोरथी होते हैं; क्या मेरे सभी मनोरथी आगे से दर्शन नहीं करते? ऐसा तो नहीं होना चाहिए”।



आभा, "नहीं श्रीजी, हमेशा पहले कीर्तनया गली के दरवाज़े खुलते हैं, जिससे VIP अंदर आपके सम्मुख खड़े होते हैं; उसके बाद मनोरथी को अंदर लिया जाता है, कमल चौक से; जिन्हें पीछे खड़े होना पड़ता है”।



श्रीजी, "ऐसा तो नहीं होना चाहिए; मेरी(श्रीजी) सेवा जो भी करते हैं, उन्हें पहला हक़ मिलना चाहिए दर्शन का. उनमें से जो भक्त मेरी गौ माता की सेवा करते हैं, उनको तो ज़रूर अधिकार मिलना चाहिए 'कीर्तनया गली' से पहले दर्शन का”।



आभा, "हाँ श्रीजी, आपकी बात तो सही है. थूली ₹८१००/- की होती है. जो वैष्णव ₹५०००-१०,००० व्यवस्थापक को खिलाता है, वो कीर्तनया गली से पहले अंदर जाता हैं; तो श्रीजी इसमें आपकी कोई सेवा नहीं होती है; लेकिन जो वैष्णव सही में आपकी सेवा मनोरथ के रूप में करते हैं उन्हें पीछे खड़ा होना पड़ता है. इसलिए थूली सेवा करने के बावजूद हम पीछे खड़े थे”।



श्रीजी मुझसे कहते हैं "अच्छा समझा; आभा शाहरा श्यामॉ, तिलकायत तक मेरी बात पहुँचाओगी क्या?

उनसे कहो की मनोरथी और गौ सेवा करने वाले भक्तों को कीर्तनिया गली से दर्शन का पहला लाभ मिलना चाहिए. वो मेरे लिए सब से बड़े VIP होते हैं. ज़रूर से लिख दे"."ठीक है, भागता हूँ, आभा शाहरा श्यामॉ, bye bye,"🚶🏻कह कर ठाकुरजी भाग जाते हैं।


जय श्रीजी बाबा की, आपके हुकुम से यह पोस्ट में upload कर रही हूँ, आज की थूली की रसीद के साथ।

आशा करते हैं की तिलकायत श्रीनाथजी ठाकुरजी के हुकुम को समझें।

जय हो!


In seva of only ShreeNathji Thakurjee:

Abha Shahra Shyama



Thuli receipt from that day; 20.01.2017

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1 kommentar


Aradhana Sharma
Aradhana Sharma
26 juli 2021

इस दिव्य वार्ता को पढ़ मन में यही भाव उमड़ घुमड़ कर आ रहा है कि श्रीजी एक बहुत सुंदर संदेश हम सबको बता रहे है जो जितना तिलकायत जी के लिए मन्दिर प्रवेश के नियम को लेकर है उतना ही हम सब के लिए अपने मन मन्दिर में भीतर प्रवेश पा उन तक पहुंचने का राह प्रशस्त करती है

सात्विक श्रद्धा धेनु सुहाई ।

जो हरि कृपा हृदय बस आई।।

अर्थात जब तक मनुष्य के अंतःकरण में श्रद्धारूपी गाय का जन्म नही होता तब तक जप ,तप ,यम, नियम, व्रत जितने भी धर्माचरण है उनमें मनुष्य की बुद्धि स्थिर नही हो पाती व श्रद्धा ही जीवन की कठिनाइयों में मनुष्य को पार ले चलती है व आत्म गुणों…

Gilla
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