ShreeNathji Prabhu demands that Gurushree get ‘pathakas’ (fire crackers) on Dev Diwali
- Priyanka Sachdev
- Sep 28, 2020
- 3 min read
Updated: Oct 31, 2020
23-11-2018-Dev Diwali at Vrindavan Kartik Sud Purnima , कार्तिक सूद पूर्णिमा, देव दिवाली
यह वार्ता मैं श्री ठाकुरजी से वार्तालाप के रूप में प्रस्तुत कर रही हूँ 🙏 कई बार आलोकिक घटना का वर्णन करना कुछ मुश्किल हो जाता है।
श्रीनाथजी ठाकुरजी कहते हैं,
“आभा शाहरा सुन, मैं आज तुझे समझाता हूँ की मैं ने देव दिवाली के दिन सुधीर को पटाखे फोड़ने के लिए ज़िद क्यों करी थी;
दिवाली के रोज़ मैं सुधीर के साथ उसके ही घर था। रात में मैं ने देखा की रसेश (गुरुश्री का पोता) पटाखे लेकर नीचे जा रहा है। मैं ने सुधीर से पूछा की चल हम भी नीचे जाते हैं, मस्ती करेंगे।
किंतु सुधीर नहीं माना, उसने कहा-श्रीजी ऐसा करो प्रगना भी नीचे जा रही है, उसके साथ चले जाओ और पटाखे का आनंद ले लो। मैं यहीं से देखता हूँ।
जब सुधीर नीचे नहीं आया तो मैं ने भी थाम लिया और सुधीर से कहा; ठीक है आज तो तू मेरी बात नहीं मान रहा है; देव दिवाली के दिन तू वृंदावन में है, तब देखना कैसे तेरे हाथ से पटाखे फ़ूडवाता हूँ और गवाह भी रखूँगा आभा को। तो देख तुम दोनों वृंदावन में थे देव दिवाली के चार दिन पहले से; (हम गिरिराज जी से आए थे)।
मैं तो बस वृंदावन पहुँचते ही सुधीर के पीछे पड़ गया; “चल चल मेरे लिए पटाखे लेकर आ, तारा मंडली, फ़ूवारे, और भौंय पटाखे, हम देवों की दिवाली पर आनंद करेंगे। उसका दिमाग़ खा डाला। मेरा आदेश तो टाल नहीं सकता था 😄 हा हा..”
गुरुश्री मुझ से (आभा) बार बार रोज़ कह रहे थे की यहाँ वृंदावन में पटाखे कहाँ मिलेंगे, श्रीजी को खेलना है। कहीं पूछो कौन सी दुकान में मिलते हैं।
मैंने (आभा) गुरुश्री से कहा की दिवाली भी हो गयी और गवर्न्मेंट का कड़क नियम है की पटाखे हर समय नहीं फोड़ सकते, अब कहाँ से मिलेंगे?
किंतु श्रीजी तो छोड़ते ही नहीं थे, बस ढूँढ कर ला कहीं से भी, और वही तीन तरह के पटाखे चाहिए।😱
आख़िर देव दिवाली के एक दिन पहले हम दुकान खोजने निकले; श्रीजी तो साथ ही थे और बहुत उत्तेजित भी थे।
पूछ पूछ कर आख़िर एक दुकान पर पहुँचे, और पता चला की उसके पास यह तीनों तरह के पटाखे मौजूद है; विनती करने पर उसने गोदाउन से मँगवा दिए।
देव दिवाली के दिवस ‘श्रीजी निज निवास’ के बाहर दिए प्रज्वलित करे और श्रीजी के हुकुम अनुसार कुछ पटाखे वहीं पर फोड़े। भौंय पटाखा ज़मीन पर मार कर फोड़ना होता है और सुरक्षित होता है। तारा मंडली भी जलायी।
फुवारे जलाने के लिए छत पर जाना पड़ा जहाँ श्रीनाथजी प्रभु ने उत्साह के साथ अपनी ज़िद पूरी करी और ख़ुश हो गए।
श्रीनाथजी ठाकुरजी ने वृंदावन में पूर्णिमा के चंद्रमा की दिव्यता में गुरुश्री के साथ ख़ूब आनंद से देव दिवाली मनाई।
श्रीनाथजी, “देख आभा शाहरा श्यामॉ, ऐसे मेरी जिद पूरी हुई और सुधीर को पटाखे छोड़ने ही पड़े .. हा हा.. मैं जो थाम लेता हूँ वही करता हूँ, इसी को साक्षात्कार कहते हैं। इसीलिए २३ नोवेम्बर को छोटा सा विडीओ झलक फ़ेस बुक पर रखा था। सुधीर से उस दिन मैं ने कहा, ‘अच्छा दिवाली पर नहीं फोड़ा था , देख देव दिवाली पर पटाखे फोड़ने ही पड़े’;
ऐसा ही हूँ आभा शाहरा, ध्यान रखना; मैं तो ऐसे ही करता हूँ।“
🙏
जय श्रीनाथजी प्रभु
आप की साक्षात्कार कृपा के लिए हम नतमस्तक हैं🙏
बहुत कृपा है, की श्रीनाथजी और गुरुश्री के साथ वृंदावन में यह पवित्र उत्सव मनाया।
दीप प्रगट उत्सव में श्रीनाथजी प्रभु स्वयं आज हमारे साथ आनंद ले रहे हैं 🙏 अद्भुत दिव्य अनुभूति है🙏
श्रीनाथजी ठाकुरजी आज वृंदावन में दीप प्रज्वलित करने में हमारे साथ पूर्ण आनंद के साथ खेल कर रहे हैं। ठाकुरजी की हाज़िरी आनंद की लहर फैला देती है।
हम श्रीनाथजी की कृपा पात्र हैं यह उनका आशीर्वाद है 🙏
जय हो प्रभु श्रीनाथजी
जय हो.. जय हो .. जय हो 🙏
Dev Diwali outside Shreeji Nij Niwas

ShreeNathji Prabhu demands that Gurushree get ‘pathakas’ (fire crackers) on Dev Diwali

💗उस शाम का आनंद कभी भूल नही सकती। जब उस सिंधु के तट पे मौज की एक लहर ने तन मन भिगो दिया था व बिंदु रूपी ये आत्मा ने परमात्मा को सामने पा झूम झूम के गाया व नाचा ,
ऐ री सखी मंगल गावो री
धरती अम्बर सजावो री
उतरी है आज मेरे पी की सवारी💗
मन पिघल कर आँसू बन बह रहा है आपकी वार्ता पढ़ कर ।अद्भुत अद्भुत उनकी लीला । बारम्बार नतमस्तक हो रही हूँ श्रीजी आपके श्री चरणों व आपके निज स्वरूप हमारे गुरुश्री व आदरणीय आभा जी आपके व उस चाँद के जो भी साक्षी बना इस देव दीपावली का ,जब परमात्मा श्रीजी सिंधु अपने निज स्वरुप बिंदु से आ मिले। उन प…