.. “श्रीजी उनकी उद्धव भुजा नीचे लाते है और मेरे सर पर बहुत अलोकिक प्रेम और दुलार से आशीर्वाद देते हैं .."
19-20 September 2005
नाथद्वारा में, राजभोग दर्शन के बाद जब मैं आराम कर रही थी, पूर्ण जागृत स्थिति में यह दिव्य अनुभूति मुझे हुई। श्रीजी के छोटे, कोमल पग को पकडे हुऐ यह भाव मुझे कुछ अनोखे आनंदमय मन की स्थिति में हुआ।
At Nathdwara, as I rested in the afternoon after Rajbhog darshans, this Divine happening, I experienced in full awareness. I experienced this incredible blissful darshans as a vision of me holding on to Shreeji’s cute little toes.
श्रीनाथजी की हवेली में मंगला दर्शन हो रहे हैं और मैं श्रीजी के पग दबा रही हूँ। श्रीजी मुझसे वार्तालाप भी कर रहे हैं!
It is the Mangala darshan, at Shreeji’s Haveli. I can see myself there, massaging Shreeji’s feet, while He is having a conversation with me!
श्रीजी मुझसे कह रहे हैं की वोह खड़े रहकर कितने थक गए हैं।
Shreeji is complaining to me how tired He gets standing every day.
"देखो मेरे पग कितने दुखते हैं, कोई दबा के नहीं देता। मैं सोचता हूँ की नाथद्वारा छोड़ कर भाग जाऊं।
“See, my Feet hurt soo much, but nobody presses Them. I think, I might just leave Nathdwara and run away”.
मैं फिर श्रीजी से पूछती हूँ , "श्रीजी, आप की उद्धव भुजा भी तो दुखती होगी? इतने सालों से आप ने ऊपर उठा कर रखी है”।
I again ask Shreeji, “Shreeji, Your Left Arm must be hurting also. Since Hundreds of years You have been holding Your Udhva Bhuja up”.
श्रीजी जवाब देते हैं, “तुम ठीक कहती हो. मेरी उद्धव भुजा भी दुखती है” ।
Shreeji replies, “Yes, you are very right, My Left Arm also hurts”.
आश्चर्यजनक रूप से उसी पल में;
श्रीजी उनकी उद्धव भुजा नीचे लाते है और मेरे सर पर बहुत अलोकिक प्रेम और दुलार से आशीर्वाद देते हैं।
Incredibly, at that moment;
SHREEJI BRINGS HIS LEFT BUHJA DOWN AND CARESSED MY HEAD AND FACE IN ALOKIK LOVE AND BLESSING.
ऐसे अलोकिक अनुभव को क्या नाम दे सकते हैं!
What name can I give to such an alokik anubhav!
यह आलोकिक अनुभूति ४५ मिनट तक आनंद देती रही।
This close encounter lasted for a whole 45 minutes.
जागने के बाद भी मैं अनुभूति में खोई रही। गुरुश्री को बताना जरूरी हो गया। किंतु जैसे ही मैं बताने लगी उन ने मुझे शांत रहने के लिए इशारा करा।
वे जानते थे इसके बारे मैं, और मुझे कहा की इस अनुभूति को अपने तक ही सीमित रखना।
I woke up and was so lost in this experience; I had to ask Gurushree about it.
It seemed he already knew about it and silenced me, telling me not to mention it to anyone for the time being.
गुरुश्री मुझे समझाते हैं, “यह वास्तविक दर्शन हैं और तुम सपना नहीं देख रही थी”।
Gurushree explained to me, “These are real darshans and you were not dreaming”.
यह एक वास्तविक दर्शन ही हैं क्योंकि आज भी, जब मैं यह अनुभव लिख रही हूँ, या फिर इसके बारे में कभी सोचती हूँ, मुझे श्रीजी के कोमल हाथ अपने माथे पर महसूस होते हैं और मैं उसी दिव्य ऊर्जा के कम्पन का अहसास करती हूँ।
It was for sure a real happening, or else how am I able to actually feel that touch from Shreeji’s Udhva Bhuja even after all these years. Till today I am able to feel Shreeji’s tender, gentle hand on my head and the extraordinary Divya Urja that came from Shreeji.
This has to be some Grace and Kripa from my Gurushree and MahaGurushree, ShreeNathji, that I have been the receiver of this Divine Love and Blessings.
MahaGurushree, Shreeji Ki Jai Ho!!
Jai Ho Thakurjee!
आपकी अनुभूति इतनी दिव्य ऊर्जा से ओतप्रोत है कि एक एक शब्द में उस दिव्य ऊर्जा का एहसास मुझे भीतर तक हो रहा है व हर पढ़ने वाले को अवश्य होगा । हर शब्द उस दिव्य ऊर्जा के उदगम स्थल से सीधा आ रहा है बस आंख बंद कर आपके प्राणों के उस रोमांच को महसूस करने की कोशिश कर रही हूँ सांसारिक प्रेम का स्पर्श हमे आनंद देता है ये तो परम् पुरुष का स्पर्श है वो खुद धड़कन बन हृदय में उतर आता है शरीर का एक एक रोम atom उस दिव्य ऊर्जा से झंकृत हो जीवंत हो उठा है जहां मैं रहा है नही ,तू ही तू। भीतर अनाहत नाद की गूंज व विचारों में ओंक…