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ShreeNathji shows me how His Haveli at Nathdwara is broken and not cared for

..श्रीजी हमारे साथ हैं और यहीं खड़े हैं, "देख, देख, मेरी हवेली की क्या हालत करी है इन लोगों ने; तोड़ फोड़ के रख दिया है..”


यह एक दिव्य वार्तालाप है श्रीनाथजी के साथ.. नवरात्रि चल रही है. श्रीनाथजी दर्शन के लिए हम नाथद्वारा आए हैं।

This is a divine conversation with ShreeNathji. It is Navratri and we are here for ShreeNathji darshans at Nathdwara.


5,6 October 2016


और जैसे की हमारा नियम है, सुबह शंखनाद के पहले श्रीजी के दरवाजे के बाहर खड़े होते हैं। हम सुबह ४.१५ बजे मंगला दर्शन के लिए पीछे के द्वार 'प्रीतम पोली' के बाहर खड़े हैं।

As per our discipline and rules, we come and wait here before the Shankhnaad. At 4.15 am we are showered, ready and waiting at ‘Pritam polee’, which is the side entrance to the Haveli.


श्रीजी हमारे साथ हैं और यहीं खड़े हैं, अचानक मुझे कहते हैं, “देख, देख, मेरी हवेली की क्या हालत करी है इन लोगों ने. तोड़ फोड़ के रख दिया है। अंदर और बाहर से ठीक करने के नाम पे सब तोड़ दिया, फिर ऐसे ही छोड़ दिया।

आभा शाहरा श्यामॉ, बाद में तेरा फोन लेकर आना और दो चार फोटू लेकर छाप देना. लिखना की श्रीजी बहुत नाराज हैं, क्या मालूम कब किसको सजा देंगे”।

(Shreeji is standing here with us, suddenly tells me, “See, see, what these people have done to My Haveli. It is so broken down. Saying that they will renovate inside and outside these people have broken down everything and then left it just like that.

Abha Shahra Shyama, later come with your phone and take two - four pictures and publish them. Also write that ShreeNathji is very angry, no one knows when He might punish all who are responsible”.)


श्रीजी, “मैं नाथद्वारा छोड़कर निकलने वाला तो हूँ, मैंने बहुत दया दिखा के इतने समय से माफ करता रहा। लेकिन यह लोग समझने को तय्यार ही नहीं है। देश के बाहर जाकर पेंसिलवेनिया (Pensilvania) जैसी जगहों में बड़ी बड़ी हवेली बना रहे हैं खुद के लिए और यहाँ जिस जगह "मैं" खुद रहता हूँ उसे तोड़ फोड़ कर रख दिया है”।

बहुत समय से यहाँ के अधिकारियों ने हवेली की दीवार तोड़ कर रखी है, आगे के द्वार पर और यहाँ पीछे के द्वार पर भी।

यहाँ से अन्दर भी जब जाते हैं, तो पूरा रास्ता टूटा हुआ है, ऐसा लगता है हमेशा मुझे, की यहाँ श्रीजी की किसी को फिक्र ही नहीं है। लोगों ने इसी बाहर की दीवार पर पान के छींटे भी थूके है।

Shreeji, “I have shown too much kindness to these people, I am planning to leave Nathdwara. They just refuse to understand anything. In places outside India, like Pensilvania, they have constructed large Havelis for themselves. But here at Nathdwara where “I” stay is all broken down and worn out”.

"Since years the adhikaris have broken the Haveli wall, in front entrance and here at the side entrance too. When we enter from here the entire path is broken; it seems as if none is bothered about ShreeNathji. There are paan stains, some people have even spit paan on the wall of ShreeNathji Haveli. The authorities do not bother to stop them or even get it cleaned".


श्रीजी, "कभी भी इस दीवार या दरवाजे की सफाई नहीं होती है. पुरानी सूखी माला यूँ ही टँगी हुई हैं।

एक बहुत बड़ी बिल्डिंग हवेली से लगकर बना रहे हैं, लेकिन ना वो पूर्ण हुई, ना श्रीनाथजी की हवेली की मरम्मत करी गयी।

ईश्वर, ठाकुरजी का जहाँ साक्षात निवास है, मेरे लिए यह देखना हर बार, एक बहुत ही दुखदायक द्रश्य है।

खुदगर्जी ने सबकी आँख पर यह कैसा लालच का पर्दा डाल दिया है।

तिलकायत हों, बालक हों, सेवक हों, भक्त हों, या रक्षक हों, सभी श्रीनाथजी को लूटने पर तुले हैं, यह सच्चाई बहुत ही अच्छी तरह बार बार श्रीनाथजी ठाकुरजी हमें अक्सर बताते है"।

Shreeji, "This wall and the ancient door is never cleaned. The dry old garland yet hangs on the gate.They are constructing a huge building along the main wall of ShreeNathji Haveli. But unfortunately that did not get completed nor Shreeji Haveli repaired because of that.

May it be the Tilkayat, balak, sevak, bhakt, rakshak; all are in process of filling pockets. We have been made aware of this bitter truth over and over again by Shree Thakurjee ShreeNathji Himself, inside and outside His Haveli".


श्रीजी आगे कहते हैं, "और तूने भी देखा होगा, अंदर मेरे सेवक लोग जो "मेरा" काम करते हैं, कैसे हर समय अपने मुँह में गुटका और तम्बाकू चबाते हैं. ऐसे कोई सेवा करता है क्या? मंदिर के अधिकारी और बावाश्री भी अनदेखा करते हैं। पवित्रता कहाँ है”?

Shreeji continues further, “You all also must have noticed that the sevaks inside who do My work have their mouths full of gutka and tobacco. No sea is done like this.The mandir authorities and the Bavashris also overlook this. where is the earlier purity”?


श्रीजी आदेश देते हैं, "आभा शाहरा श्यामॉ, तू जब मेरी हवेली के दरवाजे का फोटू लेगी तो साथ में मेरे दर्शन समय के बोर्ड का भी लेना। देख, मुझे इन लोगों ने बाँध दिया समय के लिए मेरे गुसाँईजी ने मेरी सुविधा के लिए हमेशा १५ मिनट का समय रखा था, दर्शन खुलने में। इसलिए की कभी भी मैं अगर बाहर घूमने निकल गया तो मुझे १५ मिनट का समय मिले मंदिर वापस आने के लिए, अब मैं क्या करूँगा”?

Shreeji orders me, “Abha Shahra Shyama, when you take pictures of “My” Haveli, take some of My darshan board too.See, they have tied Me down to time. To facilitate Me, My Gusainji had always kept a time of variable of 15 minutes. It was to help Me reach in time if I was out of the Haveli for some Play. I never had to run back at the time of Darshan as 15 minutes period was given to Me for returning. What will I do now?”


दर्शन के समय हमेशा से १५ मिनट के दायरे में होते थे, जैसे की; ५-५.१५, ७.१५-७.३०, ३.३०-३-४५. कभी भी एक बँधा समय नहीं होता था। जो नाथद्वारा जाते रहते हैं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए। श्रीजी को हमेशा से १५ मिनट का समय दिया जाता है मंदिर वापस पधारने के लिए।

यह नियम श्री गुसाँई जी ने शुरू करा था, श्रीजी की सुविधा के लिए। भाव है की अगर श्रीजी कहीं खेलने गए हों तो उन्हें श्रम ना हो भाग कर मंदिर वापिस आने के लिए, श्रीनाथजी प्राकट्य वार्ता में इस का जिक्र आता है।

The darshan timing at the mandir always showed a variable of 15 minutes. For example; 5-5.15; 7.15-7.30; 3.30-3.45… Shreeji was never tied to one time. All who have been to Nathdwara are aware of this rule. ShreeNathji is always given 15 minutes time to return to His mandir.

Shri Gusainji started this rule for Shreeji’s benefit. The bhao behind this is that if Shreeji is out of His mandir for His Play, He does not have to run back when darshans open. This finds mention in ShreeNathji Pragatya varta too.


आज्ञा अनुसार मैंने फोटो ले लिए। फिर आगे मुख्य द्वार, लाल दरवाज़े (मुख्य द्वार) पर भी गए, वहाँ भी बोर्ड पर दर्शन समय बाँध दिया था। और यहाँ भी परिसर कितनी खराब हालत में है, यह सभी भक्त जानते हैं।

As per Shreeji’s command I have taken the photos. Then we go to the main door called ‘Laal Darwaza’; here too on the board time has been fixed for the darshans. And the parisar here too is in a very bad and sad state as all the people who have visited Nathdwara are aware of.


५ फोटो इस पोस्ट के साथ रखी हैं, देखिए, सोचिए, समझने की कोशिश करिए।

हम लोग क्या वाकई में श्रीनाथजी की भक्ति और प्रेम करते हैं, या फिर सिर्फ अपनी जरूरत पूरी करने ठाकुरजी के मंदिर तक जाते हैं।

As per hukum I have displayed 5 photos with this article. Take a look, think deeply and try to understand the reality.Do we really have bahkti and love for ShreeNathji, or we come till Thakurjee’s mandir only to fulfil our selfish desires.


श्रीजी की सेवा में, उनकी आज्ञा से,

आभा शाहरा श्यामॉ


कल्पना करीए, शक्तिशाली दिव्य श्रीनाथजी इस हवेली में “रहते” हैं। वो अधिकारी कहाँ हैं जिन्हें इस हवेली और श्रीनाथजी, जिनका सम्पूर्ण नाथद्वारा है; की सेवा और ध्यान रखने का काम सुपुर्द करा गया है।

श्रे वल्लभ आचार्य और श्री गुसाइंजी विट्ठालनाथजी अगर आज हमारे बीच होते तो इस अपवित्र सेवा और सेवक को देखकर क्या कहते?

Imagine the most powerful divine Shakti SHREENATHJI "Lives" here.

Where are the authorities who are supposed to care for the Haveli and for ShreeNathji, whom Nathdwara belongs to?

What would the earliest sevaks Shri Vallabh Acharya and Shri Gusainji have done to these sevaks who do seva with such impure bhao?


और अगर श्रीजी का दिल दहलाने वाला संदेश पढ़ कर आपकी आँख से अश्रु का प्रवाह नहीं होता, तो समय आ गाय अहै अपने भीतर के भाव को जगाने का।

क्या श्रीजी के शब्द,

"मेरी हवेली टूटी हुई है"

आपका दिल नहीं तोड़ देते??

If you don't have tears in your eyes after reading ShreeNathji’s bhao then.. maybe you should look deeper in yourself.

Don't ShreeNathji’s words,

“MY HAVELI IS BROKEN”,

Break your heart??



ऑक्टोबर २०१६ में श्रीजी के हुकुम से जब पहली बार यह वार्ता फेस बुक पर उजागर करी, वे जो अपने को श्रीनाथजी के उत्तम भक्त मानते हैं, सच्चाई लिखने के लिए मुझ पर बहुत क्रोधित हुए।

किंतु कई थे जिन्होंने मुझे पूर्ण रूप से समर्थन करा।

कइयों ने निजी तौर पर मुझे सराहना दी।क्योंकि उन्हें नाथद्वारा तिलकायत से भय था।

शायद कोई इस सच्चाई को नहीं मानना चाहता, किंतु हर शब्द श्रीजी से मुख से निकला हुआ है, और उन्हीं की आज्ञा से उजागर करा है।

First time I had put up this varta on Facebook in 2016 October. It is unbelievable how there are people who call themselves ShreeNathji Prabhu’s bhakts, literally getting angry with me for writing the truth.

There were several who supported what was written as it is the complete truth.

There were many who messaged me privately confessing that publicly they could not support this post as they lived in Nathdwara and were afraid of the tilkayat. But were in complete agreement with what has been written.

Though none really want to believe that it is Thakurjee who has made me write this varta, word for word written by His hukum.


श्रीजी की सेवा में, उनकी आज्ञा से,

आभा शाहरा श्यामॉ


उस दिन से ७ फोटो आप के लिए

Photo below is of Pritam Polee, the back entrance to ShreeNathji Haveli. It is an early morning photo, and as is clearly visible it is in shambles. Imagine the most powerful divine Shakti SHREENATHJI "Lives" here. WHERE ARE THE AUTHORITIES WHO ARE SUPPOSED TO TAKE CARE OF THE HAVELI AND SHREENATHJI WHOM THE ENTIRE NATHDWARA BELONGS TO.

What would the earliest sevaks Shri Vallabh Acharya and Shri Gusainji have done to sevaks who do seva with such impure bhao?

This Haveli wall has been broken down and been like this since 2-3 years, maybe more. The metal gate next to it is for the high rise building that has been in construction since several years. This area is never cleaned, nor painted. The malas are dry and withered. I have seen many sevaks and bhakts spitting around the area. Later in the day chai stalls come up and the litter created is another story in itself. What would the earliest sevaks Shri Vallabh Acharya and Shri Gusainji have done to sevaks who do seva with such impure bhao?

Below is the new darshan timings board which ShreeNathji finds disturbing and complained about

Below is the old and traditional way of writing darshans. I have put this photo as an example for those who have not visited or maybe not really noticed it. There is always 15 minutes variance in darshan timings.

Below is the main entrance to ShreeNathji Haveli at Nathdwara. The abode of the ALIVE DIVINE SHAKTI SHREENATHJI. No authority has ever thought of making the parisar better and cleaner. On the right side( not visible in the photo unfortunately) the walls of the Haveli are broken down and not repaired since several years, similar to the back entrance. The entire post is on the face book page which should be shared to spread this message widely.

Jai ShreeNathji Prabhu, May all see and feel the truth!

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1 Comment


Aradhana Sharma
Aradhana Sharma
Jul 26, 2021

प्राण आराध्य प्यारे श्रीजी ,मेरी बुद्धि में, मेरे विचारों में, मेरे शब्दो मे क्या बल है जो आपकी महिमा का गुणगान कर सके जहाँ हज़ार मुख वाले ब्रह्म भी अपने आप को असमर्थ पाते है पर जिसपे आप दयालु ,कृपालु रीझते है उसकी लेखनी में आप ही प्रवेश करते हो जैसे आभा जी ने लिखा है" बात मान भी लेते है सभी को माफ़ भी कर देते है" आपकी वेबसाइट श्रीजी आपकी वेबसाइट ये पढ़ मन आनंदित होता है ।हे प्राणप्यारे श्रीजी आपकी वेबसाइट पूरा ब्रह्मण्ड है जिसके signal कभी weak नही पड़ते। सांसारिक दृष्टि से चाहे दुनिया में 3G, 4G या 5G का नेटवर्क पहुंच जाए पर सबसे strong जो पहले था आज भी है आगे भी र…

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