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Vartalap with ShreeNathji in regard to Corona Virus..

श्रीजी की जीवंत वार्ता ‘करोना वाइरस’ को लेकर ..

१८-०३-२०२०मुंबई“..

आभा मेतो कहीं नी जाता। ‘कोरोना’ हो गया तो..”


कल रात ठीक से नींद नहीं आ रही थी.. कुछ अजीब विचार घूमते थे।

Corona virus के कारण मंदिर तक नहीं खोल रहे हैं पब्लिक के लिए। (समझती हूँ की यह ज़रूरी है)

फ़ेस बुक पर पढ़ा की श्रीनाथजी की नाथद्वारा हवेली में भी दर्शन के लिए मना कर रहे हैं। सेवा सिर्फ़ भीतर होगी और तीनो दरवाज़े बंद हो गए हैं।

विचार आया की हम अपने बारे में तो सोच लेते हैं; क्या इन सब बातों का श्री ठाकुरजी पर भी कुछ असर होता है?

पहली बार इन सैकड़ों साल में ऐसा अनहोना दृश्य श्रीनाथजी भी देखेंगे उनके निज मंदिर से।

जब वे दर्शन देने को सज-धज के खड़े होंगे, और आज से ३१ मार्च तक देखेंगे की ‘डोलती बारी’ (darshan hall) तो ख़ाली पड़ी है; रोज़ इतना शोर गुल और भक्तों की भीड़ होती है; ये क्या हो गया?

प्रभु क्या विचार करेंगे?

कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, श्रीजी के विचार को लेकर (और भी हिंदू मंदिर के दरवाज़े बंद करे होंगे, किंतु मेरी दोस्ती और मेरा निज सम्बंध सिर्फ़ श्रीनाथजी से है)

शायद आँख लग गयी होगी, तो अचानक श्रीजी का मधुर स्वर सुना, “आभा मेतो कहीं नी जाता। ‘कोरोना’ हो गया तो! ‘वंदन’ (Vandan) में ही रहनेका। 😊😁🏃

चलो छोटेबबू के पास खेलने जाते हैं उपर 😊”

उफ़्फ़, यह तो श्रीनाथजी की आवाज़ हैं! मैं पूरी तरह से जाग गयी, और आश्चर्य से सोच में पड़ गयी।

तो क्या ठाकुरजी दर्शन देने जाएँगे की नहीं?

बिना भक्तों के उनको मज़ा तो नहीं आएगा हवेली में, पक्की बात है। अकेले पड़ जाएँगे!

यह तो मानना पड़ेगा क़ी श्रीनाथजी भगवान हमारी बाहरी दुनिया में घूमते हैं और कुछ निज भक्तों के साथ रहते भी हैं। इसलिए उन्हें Corona Virus के बारे में भी पता होगा।

जैसा शुद्धि नियम होते हैं, मैं ने स्नान करा और धूप अगरबत्ती करी। AC को कुछ तेज करा।श्रीजी गोवर्धन से भाग कर आते हैं, उन्हें गर्मी ज़रूर लगती होगी 🙏

हाथ जोड़ कर विनती करी,

“यहाँ का सब कुछ आप ही के लिए है श्रीनाथजी प्रभु

स्वागत है आपका” 🙏🙏भाग्य हमारे


सिर्फ़ आपकी

आभा शाहरा श्यामा

भूलों के लिए क्षमा प्रभु 🙏


भक्ति सिर्फ़ भाव से है, और श्रीनाथजी बिना भक्त और भाव के कहीं रहते नहीं हैं, वो उनकी बड़ी बड़ी हवेली ही क्यों ना हो !



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1 Comment


Aradhana Sharma
Aradhana Sharma
Jul 27, 2021

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आपने ठीक कहा आभा जी,प्रभु बिना भक्त व भाव के कहीँ रहते ही नहीं।निश्छल प्रेम और सरल हृदय के भाव ही भाते है उन्हें ।प्रभु, अपने भक्त की करुण पुकार सुन ठीक उसी प्रकार प्रकट हो जाते है जैसे एक गाय अपने बछड़े की पुकार सुन दूर जंगलों में कितनी ही दूर हो, वो वही से दौड़ती हुई उसके पास चली आती है, और उसे स्नेह एवं ममता से सहलाने लगती है। उसी प्रकार दीनदयाल, करुणानिधि प्रभु में भी निज भक्तों के लिये अपार ममता होती है, एवं जब किसी भक्त की करुण पुकार प्रभु तक पहुचती है तो प्रभु भी अपने आप को रोक नहीं पाते, और दौड़े चले आते है निज भक्त के पास। प्रभु तो प्र…

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